पहचान सको तो पहचान लो ,
लेखक को तुम आज जान लो।
रखता है अपने स्वछंद विचार,
करना नहीं पड़ता उसे प्रचार।
मन के भावों को आगे लाता है,
कल्पना को और सजीव बनाता है।
दुनिया की बातों को अपनी भाषा में दर्शाता है,
कष्टकारक बातों को बड़ी सफाई से छुपाता है।
पहचान सको तो पहचान लो ,
लेखक को तुम आज जान लो।
लेखक को तुम आज जान लो।
लेखन में हो ब्लॉग या हो कोई समाचार,
किसी की वाहवाही तो किसी पे अत्याचार।
किसी के कार्यों की हुई प्रशंसा,
तो किसी के कार्य हुए शब्दों के शिकार।
लेखन में लेखक धैर्य अपनाता है,
बात को अपनी सचित्र दर्शाता है।
किसी को ऊँचा उठाता है,
तो किसी को गढढे में गिराता है।
लेखन है लेखक की ऐसी कला,
मढ़ देता है दूसरों पे अपनी बला।
पहचान सको तो पहचान लो ,
लेखक को तुम आज जान लो।
लेखक को तुम आज जान लो।
अंततः ,
नाराज करो न लेखक को,
वरना मिजाज उसका बदल जायेगा।
अगर नाराज हो गया वह किसी पे,
तो लेखन में ही उसे निकल जायेगा।